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तुम क्यों चले आते हो हर रोज इन ख़ौबों में
चुप के से आभी जाओ एक दिन मेरी बाहों में
तेरे ही शुपने अंधेरों में उजालों में
तुम क्यों चले आते हो हर रोज इन खौबों में
कोई नशा है तेरी आँखों के प्यालों में
तुम क्यों चले आते हो हर रोज इन ख़ौबों में
चुप के से आभी जाओ एक दिन मेरी बाहों में
तेरे ही शुपने अंधेरों में उजालों में
तुम क्यों चले आते हो हर रोज इन खौबों में
कोई नशा है तेरी आँखों के प्यालों में