आज कल के मर्द पत्नी की साड़ी उतार के अपनी पेन्ट में से 4 इंच की निकाल दो तीन जटके लगा कर सो जाते पत्नी को अधूरा छोड़ कर ।
भोग क्रिया में साडी निकालनी भी एक कला है पलु को सरका कर नाभि ओर कमर को चुमन करते हुए साड़ी को निकाला जाता है फिर वो पेटिकोट ओर ब्रा को भी अलग तरह से उतारा जाता है जब ओरत की नंगी पीठ पर कठोर हाथो को सहला कर ब्रा के हुक पर किस करके दांतो की मदद से उतारा जाता है पेटिकोट का नाडा को चुमन करते हुये खींचा जाता है।
स्त्री का शरीर एक ज्वालामुखी है जितना गहराई में जाओ उतना गर्मी की ताप बढ़ जाती है पर ये ताप उतपन्न करने के लिये स्त्री के होठो को मा जाता है, उसके कठोर मोटे ..चे को रगड़ कर दबा कर उसका आंनद लिया जाता है। कमर पर चुमन और ..नि पर मन कर के स्त्री को उतेजित किया जाता है जब तक ओरत गिली नही होती उसकी सींकिया नही निकलती तब तक ओजार नही डाला जाता है ओरत को इतनी मदहोश करो कि वो खुद बोले अब रहा नही जाता है |
हर एक जटके हर एक चुमन स्त्री को चरमुसख का अनुभूति करवाता है जब तक जटके मारो जब तक स्त्री का पानी रस बाहर न आ जाये स्त्री के संखलन के बाद ही पुरुष को अपनी पिचकारी मार कर चरमुसख का मजा देना और लेना चाहिए | ...
भोग क्रिया में
साडी निकालनी भी एक कला है
पलु को सरका कर
नाभि ओर कमर को चुमन करते हुए
साड़ी को निकाला जाता है फिर वो
पेटिकोट ओर ब्रा को भी
अलग तरह से उतारा जाता है
जब ओरत की नंगी पीठ पर
कठोर हाथो को सहला कर
ब्रा के हुक पर किस करके
दांतो की मदद से उतारा जाता है
पेटिकोट का नाडा को
चुमन करते हुये खींचा जाता है।
स्त्री का शरीर एक ज्वालामुखी है
जितना गहराई में जाओ
उतना गर्मी की ताप बढ़ जाती है
पर ये ताप उतपन्न करने के लिये
स्त्री के होठो को मा जाता है,
उसके कठोर मोटे ..चे को
रगड़ कर दबा कर
उसका आंनद लिया जाता है।
कमर पर चुमन और
..नि पर मन कर के
स्त्री को उतेजित किया जाता है
जब तक ओरत गिली नही होती
उसकी सींकिया नही निकलती
तब तक ओजार नही डाला जाता है
ओरत को इतनी मदहोश करो
कि वो खुद बोले
अब रहा नही जाता है |
हर एक जटके
हर एक चुमन
स्त्री को चरमुसख का
अनुभूति करवाता है
जब तक जटके मारो
जब तक स्त्री का पानी
रस बाहर न आ जाये
स्त्री के संखलन के बाद ही
पुरुष को अपनी
पिचकारी मार कर
चरमुसख का मजा
देना और लेना चाहिए |
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